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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : श्रीवेदमाता गायत्री ट्रस्ट शान्तिकुज प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4105
आईएसबीएन :000

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गुरुदेव की वचन...

भूत और भविष्य - ज्ञात और ज्ञेय


लंदन में एक ऐसी हत्या हुई, जिसका पता लगाने के लिए पुलिस, सी० आई० डी०, कुत्ते सब नियुक्त किए गए पर अपराधी का कोई पता न चला। अपराधी उसी मुहल्ले का एक संभ्रांत व्यक्ति था। उसके बारे में कोई कल्पना तक भी नहीं कर सकता था कि, वह कभी अपराध कर सकता है।

अंत में प्रसिद्ध भविष्यवक्ता 'क्लेयर वायेंट' की मदद ली गई। क्लेयर वायेंट जो भी भविष्यवाणियाँ करता है, वह अधिकांश सत्य निकलती हैं। वहाँ के बड़े-बड़े व्यापारी, पुलिस और म्युनिसपैलिटी तक उसकी मदद लेते हैं। क्लेयर वायेंट ने अपराधी का .पूरा हुलिया और नाम बता दिया। उसके आधार पर अपराधी पकड़ा गया और उसने सारी घटना बड़े रोमांचक ढंग से स्वीकार की। इस घटना से पता चलता है कि, संसार में अतिरिक्त सहजानुभूति (एक्स्ट्रासेंसरी परसेप्शन) मनुष्य-जीवन का एक महान् सत्य है और वह मनोविज्ञान का ही विषय नहीं, वरन् उसे वैज्ञानिक यंत्रों के विकास द्वारा भी उपलब्ध किया जा सकता है।

ऐसी सैकड़ों घटनाएँ होती रहती हैं, जो इस तथ्य के सैद्धांतिक पहलू का समर्थन करती हैं। यह घटनाएँ देखकर यह विश्वास होता है कि, संसार में कोई ऐसी भी सत्ता या तत्त्व है, जहाँ भूत और भविष्य-वर्तमान के दृश्य-पटल की भाँति मिलते हैं। कभी-कभी अनायास दिख जाने वाली घटनाओं की शक्ति को यदि विकसित या नियंत्रित किया जा सके तो सचमुच मनुष्य त्रिकालदर्शी हो सकता है।

१६ अगस्त सन् १६६४ के धर्मयुग के पेज ५० पर दिनकर सोनलकार का एक संस्मरण छपा है। शीर्षक है-'वह स्वप्न और नेहरू अस्थि-विसर्जन दिवस पर बच्चियों की जल-समाधि।' इस लेख में भी ऐसी ही एक आश्चर्यजनक घटना का वर्णन है, जिसमें कल होने वाली घटना का पूर्वाभास एक साथ कई लोगों को हुआ और उसके बाद वह घटना सचमुच होकर ही रही।

यह घटना इस विश्वास की पुष्टि करती है कि, संसार में एक कोई ऐसा तत्त्व अवश्य है, जिसके अनेक रहस्मय गुणों में सहजानुभूति का गुण भी है। वह तत्त्व भूत-भविष्य सबको जानता है।

तमिल भाषी हिंदी लेखक श्री टी० एस० कन्नन लिखते हैं-"मेरे भाई विजय कुमार विश्व-यात्रा पर गए थे। एक रात मेरे पिताजी ने स्वप्न में देखा, एक जहाज ऊपर उड़ने को है, उसमें विजय कुमार भी है। जहाज जैसे ही उड़ा, उसमें आग लग गई और वह ध्वस्त होकर भूमिसात् हो गया। यह स्वप्न देखने के साथ ही पिताजी के मन में घबराहट बढ़ी और नींद टूट गई। उन्होंने स्वप्न मुझे बताया और बोले-कोई बात अवश्य है। हमने बहुत समझाया कि ऐसे स्वप्न तो आते ही रहते हैं। पर उनकी बेचैनी दूर न हुई। शेष सारी रात प्रार्थना करते रहे-"मेरे विजय कुमार का कोई अहित न हो। हे प्रभु ! उसका ध्यान रखना।"

"दूसरे दिन के समाचार पत्र में एक विमान के दुर्घटना ग्रस्त होने का समाचार छपा था। पर उसमें विजय कुमार रहा हो, ऐसी कोई सूचना नहीं थी। चौथे दिन विजय कुमार का पत्र भी आ गया। हमने पिताजी की हँसी उड़ाई, देखो न, आपका स्वप्न झूठा ही था। पिताजी कुछ न बोले। बात आई गई हो गई।"

"विजय कुमार यात्रा से वापस लौटे। मद्रास हवाई अड्डे पर हम उन्हें लेने गये। उनके आते ही यात्रा की कुशल-मंगल पूछी, तो उन्होंने कहा और सब ठीक रहा, पर एक दिन तो सचमुच मुझे भगवान ने ही बचाया। हम लोग घर पर आ गए, तब उन्होंने सारी घटना विस्तार से बताई।"

"भाई साहब को टोरेंटो (कनाडा) से न्यूयार्क जाना था। हवाई जहाज बुक हो चुका था। अपने निवास स्थान से वे हवाई
अड्डे के लिए निकले, तब कुल आधा घंटा समय शेष था। उसी बीच एक कनाडियन उन्हें जबर्दस्ती पकड़ ले गया और उन्हें एक होटल में अनिच्छा के बावजूद काफी पिलाई। लगता था, वह जान-बूझकर देर करना चाहता है। किसी तरह जल्दी-जल्दी हवाई अड्डे उसने पहुँचाया तो, पर तब तक जहाज छूट चुका था। विजय कनाडियन पर क्रुद्ध हो रहा था, तभी लोगों ने देखा कि उस जहाज में एकाएक आग लग गई और एक धड़ाके के साथ पृथ्वी पर आ गिरा। उसमें बैठी सभी सवारियाँ जल मरी। यह घटना सुनकर हम आश्चर्यचकित सोचते रह गये कि पिताजी के स्वप्न में सचमुच सच्चाई थी। भाई साहब को किसी अज्ञात शक्ति ने ही बचाया।"

स्वप्नों के माध्यम से भविष्य के पूर्वाभास की ये घटनाएँ फ्रायडवादी मनोविज्ञान को जड़मूल से ही निरस्त कर देती हैं, जिसके अनुसार स्वप्नों का कारण केवल अतृप्त यौनाकाक्षा मात्र है। इतना ही नहीं, फ्रायड ने तो मनुष्य की प्रत्येक क्रिया और इच्छा में यौन भावना का आरोपण किया है। उन्हें माँ और बेटे के संबंध में भी यौनेच्छा का ही नर्तन दिखाई दिया। यही नहीं, किसी भी प्रकार के स्वप्नों को उन्होंने यौन भावना का प्रतीक कहा और यह सिद्ध करने की चेष्टा की, कि अतृप्त यौनाकांक्षा किसी भी रूप मेंभले ही वह स्वप्न ही हो अपनी पूर्ति कर लेती है। फ्रायड प्रणीत मनोविज्ञान के प्रतिनिधि ग्रंथ 'ए जनरल इंट्रोडक्शन टु साइको एनालिसिस' में उन्होंने ऐसे कई स्वजों का विवरण कर अपना सिद्धांत प्रतिपादित करने की खींच-तान की है। एक स्वप्न विवरण इस प्रकार है-"एक स्वप्नद्रष्टा यात्रा करने वाला था और उसका सामान एक गाड़ी में स्टेशन से लाया जा रहा था। उसमें एक-दूसरे पर बहुत से संदूक लदे हुए थे और उनमें दो बड़े काले संदूक थे। उसने दिलासा देते हुए किसी से कहा, "देखो, वे सिर्फ स्टेशन तक जा रहे हैं।"

यह स्वप्न कोई विशेष अर्थ लिए नहीं दिखता, पर फ्रायड ने अपनी उक्त पुस्तक में इस स्वज की जो व्याख्या की है, वह द्रष्टव्य है-"दो काले संदूक—दो काली स्त्रियों के प्रतीक हैं।" फ्रायड के अनुयायी ही नहीं, आधुनिक मनोविज्ञान के कई पंडित भी स्वप्नों को अतृप्त वासना की प्रतीकात्मक तृप्ति ही बतलाते हैं।

भारतीय शास्त्र-ग्रंथ स्वप्नों के संबंध में जिस धारणा का प्रतिपादन करते हैं, वह अतृप्त आकांक्षाओं की पूर्ति के साथ अतींद्रिय शक्तियों के स्पंदन, स्फुरण को भी पुष्ट करती है। पुराणग्रंथों में स्वप्नों को भविष्य दर्शन की भाषा कहकर कई स्थानों पर उनकी विशिष्ट व्याख्या की गई है। इस प्रकार की घटनाओं के कई विवरण भी मिलते हैं, जो स्वप्नों में प्रकट हुई अतींद्रिय चेतना का सिद्धांत पुष्ट करते हैं। भारत ही नहीं, विदेशी इतिहासों में भी इस प्रकार की घटनाओं के विवरण मिलते हैं। ढाई हजार साल पहले मिश्र के राजा फैराओ ने एक अद्भुत स्वप्न देखा था, जिसकी व्याख्या करते हुए एक यहूदी बंदी ने सात वर्ष बाद मिश्र में एक भीषण अकाल पड़ने की भविष्यवाणी कर दी। क्लियोपैट्रा के प्रेमी सीजर और हैनरी तृतीय को अपनी हत्या का पुर्वाभास स्वप्न द्वारा ही हो गया था।

इन्हें पुरानी घटनाएँ कह कर गप्प ही माना जाता है। परंतु इसी शताब्दी में स्वप्नों में अतींद्रिय चेतना के अनुभव के सैकड़ों प्रमाण मिले हैं। जिनकी फ्रायडवादी कोई संगति नहीं बिठा पाये हैं। स्वप्नों में होने वाले भविष्य दर्शन के प्रति भारत ही नहीं विदेशों में भी कई लोग विश्वास करते हैं। कई बार तो सपने इतने आश्चर्यजनक रूप से सत्य सिद्ध हुए कि, सुनने वालों के साथ-साथ स्वप्न द्रष्टा को भी हत्प्रभ रह जाना पड़ा। अमेरिका की प्रसिद्ध रेडराक सोने की खान का पता विनफील्ड स्कॉट स्ट्रेटन को स्वप्न द्वारा ही लगा था। जब वे बेहद आर्थिक तंगी में थे, तो एक रात उन्होंने सपना देखा कि, बैटिल पर्वत के रेडराक क्षेत्र में सोने की खुदाई हो रही है। पहली बार तो स्ट्रेटन ने कोई गौर नहीं किया।

पर बार-बार वह सपना दिखाई देने लगा, तो उन्होंने अपने एक मित्र से चर्चा की। मित्र ने आरंभ में हँसी उड़ाई, पर स्ट्रेटन को उस स्वप्न का इतना विश्वास हो गया था कि, वे जबर्दस्ती अपने मित्र को वहाँ खींचकर ले गए तथा खुदाई करने लगे। कुछ ही गहरा खोदने पर उन्हें एक सोने का टुकड़ा दिखाई दिया। मित्र को अब विश्वास हो गया। उस सोने के टुकड़े को बेचकर दोनों ने वह जमीन खरीद ली और खुदाई द्वारा प्राप्त सोने से अरबपति हो गए।

इसी प्रकार की एक घटना ८ मार्च १६४६ की है। लॉर्ड किलब्रेफन तब पढ़ते थे। एक रात उन्होंने सपने में देखा कि, कोई समाचार पत्र पढ़ रहे हैं। समाचार अगले दिन का अर्थात् १० मार्च का था। रह-रह कर उन्हें इस अंक में दो घोड़ों के नाम दिखाई दिये। जो रेस में जीते थे। किल ब्रेफन रेस के न आदी थे और न ही उन्हें इसका शौक था। इस सपने के संबंध में उन्होंने अपने कई मित्रों को बताया, जो रेस में घोड़ों पर दाँव लगाए। मजाक उड़ाते हुए मित्रों ने किलब्रेफन से कहा-"यदि तुम्हें अपने सपनों पर इतना विश्वास है, तो खुद ही बिंदल और जिलादीन दाँव पर क्यों नहीं लगा देते।" ये नाम उन घोड़ों के थे, जो कि उन्होंने रात सपने में देखे थे। न जाने किस शक्ति से प्रेरित होकर किलब्रेफन ने रेस खेली और एक बड़ी रकम जीती, जिसने उनकी आर्थिक स्थिति का ही काया पलट कर दिया।

स्वप्नों के माध्यम से संभावित खतरों का आभास भी हो जाता है। यदि उन्हें समझने की क्षमता हो, तो सचमुच यह संयोग एक वरदान बन सकता है। लिंकन की हत्या का सपना उनकी पत्नी ने एक दिन पहले ही देखा था। इसी प्रकार फ्रांस के एक प्रोफेसर चार्ल्स लंदन में अपने मित्र के यहाँ कुछ दिनों के लिए ठहरे। एक रात उन्होंने स्वप्न देखा कि, एक व्यक्ति ने लंबे चाकू से शयन कक्ष में उनके मित्र की हत्या कर दी है। स्वप्न इतना स्पष्ट-प्रभावशाली था कि, उन्हें स्वप्न के हत्यारे का हुलिया भी हू-बहू याद रहा। सुबह चार्ल्स ने अपने मित्र को इस स्वप्न के संबंध में बताया और उस व्यक्ति का हुलिया भी। हुलिया मित्र के माली से एकदम मिलता था, जो दस व एनके यहाँ नौकरी कर रहा था। चार्ल्स ने माली को निकाल देने की सिफारिश की। उस समय तो उसे नहीं हटाया पर चाल जब विदा हुए तो उसे हटाना पड़ा क्योंकि एक रात सचमुच उसने अपने मालिक पर शयन कक्ष में उसी प्रकार हमला बोल दिया था, जिस प्रकार का स्वप्न कि चार्ल्स ने देखा था।

अपने प्रिय परिजनो के लिए ही नहीं, स्वयं के लिए भी संभावित खतरों का आभास स्वप्नों के माध्यम से मिलता देखा गया है। फरवरी १९५३ में एक रात कार्लीमेपल्स ने सपना देखा कि, वह अगले दिन किसी दुर्घटना का शिकार हो गया है। इन सब बातों को ढकोसला मानने के कारण उसने कोई ध्यान नहीं दिया, पर सचमुच अगले दिन वह मोटर साइकिल समेत सड़क की एक रपट पर फिसल गया, इस दुर्घटना में उसे सणांतक चोटें आईं।

ब्रिटेन की एक महिला ट्रटिन ने बार-बार यह सपना देखा कि, कोई अजनबी उसके घर में घुस आया है और चीजों को उलट-पलट रहा है। ट्रटिन के सामने पड़ जाने पर उसे डरा-धमका कर अजनबी एक मोटी रकम माँगता है। जिसे वह देने से इनकार करती है। इस पर अजनबी उसे गोली मार देता है। कई रात तक यह सपना देखने के बाद उसे न जाने क्यों सपने की सच्चाई पर विश्वास हो गया और पुलिस से मदद मांगी। सपने के आधार पर पुलिस सहायता देने को तैयार नहीं हुई, तो ट्रटिन ने अपनी निजी व्यवस्थायें कर ली और संभावित खतरे का मुकाबला करने की पूर्ण तैयारियाँ भी। एक दिन जब वह अपने मकान में अकेली थी, पास वाले कमरे में किसी के चलने-फिरने की आहट सुनाई दी। चुपके से ट्रटिन ने झाँका, आगंतुक अजनबी था और कुछ तलाश कर रहा था। उसका हुलिया भी सपने में दिखाई देने वाले अजनबी की तरह का था, बस ट्रटिन ने हल्ला-गुल्ला मचाकर पड़ोसियों को
इकट्ठा कर लिया और उस अजनबी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। सचमुच ही उसके पास एक रिवाल्वर भी मिला।

किन्हीं विशिष्ट व्यक्तियों के संबंध में भी स्वप्नो द्वारा पूर्व संकेत मिलने के उदाहरण सामने आए हैं। जिन व्यक्तियों के प्रति हम अपने हृदय में आंतरिक सम्मान रखते हैं, उनसे एक सूक्ष्म आत्मिक संबंध भी बन जाता है, भले ही उनके लिए हम अपरिचित हो। इंग्लैंड के एक सामान्य नागरिक जॉन विलियम्स को तत्कालीन वित्तमंत्री पीवल के प्रति इसी स्तर की आत्मिक घनिष्ठता थी। एक बार जीन ने स्वप्न में देखा कि, पार्लियामेंट में कुछ लोग पर्सीवल की हत्या कर रहे हैं। यह भी कि पर्सीवल सफेद ड्रेस में है और उनकी हत्या करने वालों का हुलिया भी अच्छी तरह दिखाई देता है।

इस सपने का उल्लेख जॉन ने पार्लियामेंट के कुछ सदस्यों से किया। सुरक्षा अधिकारियों को इस संबंध में बताया, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद पार्लियामेंट भवन में ही पर्सीवल की हत्या कर दी गई। पर्सीवल ने उस समय सफेद रंग के कपड़े पहन रखे थे। इतना ही नहीं जब हत्यारों को गिरफ्तार किया गया, तो जॉन ने बताया कि--इन्हीं लोगों को वह स्वप्न में हत्या करते देखता रहा है। बाद में जॉन को स्वप्न के आधार पर हत्या का गवाह भी बनाया गया।

यह जानकर तो और आश्चर्य होता है कि, स्वप्नों के आधार पर अपराधियों की धर-पकड़ भी की गई है। रोम में की गई एक हत्या का सुराग मृतक की पत्नी द्वारा देखे गए सपने के आधार पर मिला। बताया जाता है कि मृतक की पत्नी एमीलिया ने ही सर्वप्रथम पुलिस को यह सूचना दी कि, उसके पति की हत्या की गई है, जबकि उसके पति रूसो का शव एक दुर्घटनाग्रस्त क्षत-विक्षत कार में पाया गया था। जिसके संबंध में यह मान लिया गया था कि, रूसो की मृत्यु कार दुर्घटना के कारण हुई है। जब पोस्टमार्टम हुआ, तब पता चला कि-मृत्यु दुर्घटना से पहले ही हो चुकी है और मृत्यु का कारण दुर्घटना नहीं, एक तीव्र जहर है, जो शराब में मिलाकर पिलाया गया है।

एमीलिया ने स्वप्न में अपने पति का शव देखा था और उस पर बैठी हुई एक स्त्री भी—जिसने हत्या की थी। इस स्त्री के संबंध में एमीलिया तो कुछ भी नहीं जानती थी, पर वह उसके पति को फाँसने वाली एक चालाक औरत थी, जिसने एक लंबी रकम ऐंठने के बाद रूसो की हत्या कर दी थी। लिसा और उसके सहयोगी भारि को गिरफ्तार कर लिया गया, जिन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया। एमीलिया ने लिसा को देखते ही पहचान लिया और कहा कि यही है वह औरत, जिसे मैंने स्वप्न में अपने पति के शव पर बैठा देखा है। मैं इस रात वाली इसकी कुटिल मुस्कान को तो जिंदगी भर नहीं भूल सकूँगी।

लिसा के सहयोगी भारि ने अपने बयान में एक विस्मयजनक बात कही कि जब वह और लिसा रूसो की लाश को खोह में छोड़कर बाहर आ रहे थे, तो उन्हें लगा था कि खोह में उन दोनों के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति भी मौजूद है। यह अनुभूति बहुत तीव्र थी। मैंने लिसा को बार-बार बताया भी कि कोई हमारा पीछा कर रहा है। इस घटना में प्रेम संबंधों की प्रगाढ़ता से व्यक्तियों के घनिष्ठ और सूक्ष्म आंतरिक संपर्क-सूत्रों की प्रतीति होती है, जिसे भारतीय ऋषियों ने हजारों वर्ष पूर्व सिद्ध कर दिखाया है।

अब इस प्रश्न का उत्तर आसानी से खोजा जा सकता है कि, स्वप्न क्या केवल यौनेच्छाओं की प्रतीकात्मक तृप्ति का साधन है या और भी कुछ ? यह तो ठीक है कि, व्यक्ति अतृप्त आकांक्षाओं की पूर्ति स्वप्नों के माध्यम से भी करता है, पर उसमें केवल यौन जीवन का संबंध नहीं है। स्वप्नों के माध्यम से भविष्य के संकेत भी प्राप्त किए जा सकते हैं। इस विद्या में प्राचीन ऋषियों ने काफी प्रगति भी की है।

परंतु यह नहीं कहा जा सकता कि, सभी स्वप्न अनागत के संकेत या पूर्व सूचक होते हैं। इस संबंध में जानकार व्यक्तियों का
अभिमत है कि, भविष्य की पूर्व सूचना देने वाले स्वप्न बहुत स्पष्ट, श्रृंखलाबद्ध और क्रमागत होते हैं। प्रायः हम सभी स्वप्न भूल जाया करते हैं, कुछेक दो-चार दिन तक याद भी रहते हैं, पर ऐसे स्वप्न पूरे व्यक्तित्व को झकझोर देने वाले, बहुत दिनों तक प्रभावित करने तथा आजीवन अविस्मरणीय रहते हैं।


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    अनुक्रम

  1. भविष्यवाणियों से सार्थक दिशा बोध
  2. भविष्यवक्ताओं की परंपरा
  3. अतींद्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि व आधार
  4. कल्पनाएँ सजीव सक्रिय
  5. श्रवण और दर्शन की दिव्य शक्तियाँ
  6. अंतर्निहित विभूतियों का आभास-प्रकाश
  7. पूर्वाभास और स्वप्न
  8. पूर्वाभास-संयोग नहीं तथ्य
  9. पूर्वाभास से मार्गदर्शन
  10. भूत और भविष्य - ज्ञात और ज्ञेय
  11. सपनों के झरोखे से
  12. पूर्वाभास और अतींद्रिय दर्शन के वैज्ञानिक आधार
  13. समय फैलता व सिकुड़ता है
  14. समय और चेतना से परे

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